#वाराणसी में मां श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद मामले के सर्वे कमिशन के दूसरे दिन भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम भारी सुरक्षा बल तैनात मंदिर के आसपास के इलाके छावनी में तब्दील मंदिर और मस्जिद के आने जाने वाले सभी रास्तों को पूरी तरीके से किया गया बंद सुरक्षा के दृष्टि से बंद काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में देशभक्ति के धुन के बाद शुरू हुआ सर्वे का कार्य
काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के पूर्व अध्यक्ष आचार्य अशोक द्विवेदी है उन्होंने कहा हमारा परिवार यहाँ 800 साल से हैं। मैं खुद अपने बचपन से लेकर शिवसेना की स्थापना के पहले तक नहीं जानता था कि शृंगार गौरी का मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद के क्षेत्र में है। उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि शिवसेना वाले वहां कुछ आंदोलन की रूपरेखा खींच रहे थे। तो पहली बार पता चला की लोग शृंगार गौरी को जल चढ़ाना चाहते हैं। गौरी को जल चढ़ाना वैसे भी गलत है क्योंकि गौरी को जल नहीं चढ़ता है। फिर धीरे-धीरे विश्व हिन्दू परिषद् शृंगार गौरी का नाम लेने लगा।
आचार्य अशोक द्विवेदी ने काशी के मंदिरों के इतिहास से जुडी दो किताबें जिसमें से एक को स्वयं स्वामी करपात्री जी महराज के शिष्य ने लिखी है, जिसका नाम काशी गौरव है तथा दूसरी किताब बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् द्वारा छपी वाराणसी वैभव का हवाला दिया है। उन्होंने कोर्ट केस के वादियों को सिर्फ पब्लिसिटी के लिए ऐसा न करने की नसीहत दी है।
और ज्ञानवापी मस्जिद की जिस पुरानी दीवार को मन्दिर बताया जा रहा है उस दीवार पर कोई मूर्तियां या देवी देवताओं की आकृति नही है। ये दीवार उस इबादत खाने की है जिसे मुग़ल बादशाह अक़बर के "दीन ए इलाही" के लिए मंत्री टोडरमल ने बनवाया था। जिसे मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने मस्जिद में तब्दील कर दिया।
रही बात सर्वे की उसमे कुछ निकलना है नही सिर्फ़ मीडिया में ख़बर चलाकर एक पक्ष की भावनाओं को हवा दिया जा रहा है। ताकि ज़रूरत पड़े तो तथ्य को एक तरफ रखकर भावनाओं के आधार पर फैसला दिया जा सके।
#varanasi #gyanwapi
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