#प्रयागराज: #उत्तर प्रदेश 2022 विधानसभा चुनाव की तैयारी में विभिन्न दलों के लोग लग गए हैं जिनमे कुछ मौजूदा विधायक का टिकट उनकी पार्टी ने काट दिया जिसके कारण इन लोगों को अन्य दलों की शरण में जाना पड़ा। कहने को तो लोग पूर्व सांसद अतीक अहमद का राजनीतिक सफर खत्म होने का दावा कर रहे हैं किंतु उनका सियासी सफर खत्म हुआ कि नहीं आवाम इस बात से अंदाजा लगा रही है कि यूं तो यह शख्स हजारों किलोमीटर दूर सलाखों में कैद है किंतु बताया जाता है कि वो प्रदेश की विशेषकर इलाहाबाद, प्रतापगढ़, कौशांबी, मिर्जापुर, फतेहपुर, कानपुर,भादोई, वाराणसी आदि जिले के बारे में पूरी जानकारी हासिल कर रहे हैं किन्ही स्रोतों से, इस राजनीतिक शख्स का कद-घटा है या बड़ा यह तो राजनीतिक पंडित ही बता पाएंगे किंतु मौजूदा समय में जो दिख रहा है उससे साफ प्रतीत हो रहा है कि इस व्यक्ति का जनाधार अभी भी बरकरार है जहां तक अतीक की बात है तो इनके शागिर्द अभी भी प्रदेश की सरकार में मंत्री के कुर्सी पर विराजमान है तथा 2022 विधानसभा चुनाव में जो मौजूदा विधायक जिनका टिकट किन्ही कारणों से उनके दल ने काट दिया था वह अब अनुप्रिया के शरण में है जिनमें चायल, सोरांव,बिंदकी विधानसभा शामिल है इसके अलावा समाजवादी पार्टी से एक दर्जन से ज्यादा लोग पार्टी द्वारा अधिकृत प्रत्याशी घोषित किए गए हैं जो विभिन्न विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने को मैदान में उतर चुके हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिनका पार्टी द्वारा टिकट काट दिया गया है जिन्होंने विरोध भी जोरों पर शुरू कर दिया है बावजूद इसके अभी भी उम्मीद लगाए बैठे हैं। 2012 विधानसभा चुनाव की बात है जब सलाखों से रिहा होकर पूर्व सांसद चुनावी मैदान में उतरे थे बहुत कम समय बचा था जनसंपर्क के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र के अधिकतर हल्के में स्वयं अतीक जनसंपर्क नहीं कर पाए थे उन्हीं दिनों बनारस की एक सीट से अपना दल- एस की लीडर अनुप्रिया विधानसभा चुनाव लड़ रही थी जिनकी स्थिति कोई खास नहीं थी इस बात की जानकारी जब पूर्व सांसद को हुई तो उन्होंने अपने क्षेत्र को छोड़ डॉक्टर साहब की बेटी को विजय हासिल कराने के लिए अनुप्रिया के विधानसभा क्षेत्र में जाकर कमेरा समाज के लोगों व अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों व दलितों से आवाहन किया की डॉक्टर सोनेलाल पटेल की धरोहर को विजय दिलाना क्यों आवश्यक है अल्पसंख्यक समाज से भी कहा कि अनुप्रिया को फतेह दिला कर हमारे मान सम्मान की हिफाजत करिए जिसकी वजह से अनुप्रिया को फतह हासिल हुई। गौरतलब है कि उन दिनों मंच से अनुप्रिया ने लाखों के हुजूम में बताया कि हमारे पिता के ना रहने पर अब हमारे सरपरस्त हमारे मामा अतीक है जिसके बाद से उस विधानसभा क्षेत्र का समीकरण बदला और अनुप्रिया को विजय हासिल हुई, ये अलग बात है कि आज अनुप्रिया सत्तारूढ़ दल के साथ हैं।
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