बरेली : दरगाह आला हजरत के सज्जदानाशीन मुफ्ती अहसन रजा खां कादरी (अहसन मियां) ने ईद उल अजहा( बकरीद) से पहले सोमवार मुल्क के मुसलमानों को पैगाम देते हुए कहा कि इस्लामी भाई
उन्हीं जानवरों की कुर्बानी करें जिसकी इजाजत भारतीय कानून ने दी है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि कुर्बानी हलाल पैसों से ही जायज़ है कुर्बानी खुले में न करने की ताकीद के साथ खून और गंदगी नालियों में न बहाने का कहा है.
देश में भर में बकरीद का त्यौहार 10 जुलाई को मनाया जाएगा ये त्यौहार तीन दिन तक मनाया जाता है इस दिन मुसलमान सूरज निकलने के बाद दो रकात नमाज़ वाजिब अदा करते हैं इसके बाद साहिबे निसाब (शरई मालदार) मर्द और औरत तीन दिन तक अपने रब (अल्लाह) की रज़ा के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं.ये सिलसिला 10 ज़िल्हहिज्जा (10 जुलाई) से 12 ज़िल्हहिज्जा (12 जुलाई) तक सूर्यास्त (सूरज डूबने से पहले) तक चलेगा दरगाह के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि दरगाह आला हज़रत के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) ने दीनी मसाइल पर चर्चा करने के बाद बताया कि ईद-उल-अज़हा का त्यौहार हज़रत इब्राहीम अलहेअस्सलाम की याद में मनाया जाता है कुर्बानी उन्हीं की सुन्नत है । देश भर के मुसलमान इस सुन्नत को खुशदिली के साथ अदा करें ईद-उल-अज़हा मज़हबी त्योहार के साथ ही इंसानियत का भी त्यौहार है यह उन एहसासों का त्यौहार है जो इंसानियत के लिए बेहद ज़रूरी हैं हम मुसलमानों की जब दोनों ईद आती है तो उस दिन का आगाज़ दो रकात नमाज़ वाजिब से होता है मुसलमान ईद- उल- अज़हा को यह नमाज़ अदा कर कुर्बानी देकर अपने रब को राज़ी करता है वहीं अल्लाह क़ुरआन में इरशाद फरमाता है कि ऐ महबूब अपने रब के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो हलाल तरीके से कमाए हुए पैसों से कुर्बानी जायज़ मानी जाती है हराम की कमाई से नही उन्होंने आगे कहा कि ऐसे जानवरों की ही कुर्बानी करें जिसकी हमे भारतीय कानून से इजाज़त है ऐसे जानवरों की कुर्बानी बिल्कुल न करें जिन पर हुक़ूमत-ए-हिन्द द्वारा पाबंदी है कुर्बानी के दिनों में साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। दीन-ए-इस्लाम मे साफ-सफाई को आधा ईमान करार दिया गया है. अमन-ओ-सुकून के साथ ईद-उल-अज़हा का त्योंहार मनाए सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने मुल्क भर के मुसलमानों से अपील करते हुए कहा कि अच्छा मुसलमान व अच्छा शहरी होने की ज़िम्मेदारी निभाते हुए कुर्बानी देते वक्त दूसरे मज़हब की भावनाओ का खास ख़याल रखते हुए कुर्बानी को खुले में न करें किसी बंद जगह में कुर्बानी कर उसके अवशेष किसी गड्ढे में दफन कर दें खून को नालियों में न बहने दें कुर्बानी के फोटो या वीडियो सोशाल मीडिया पर वायरल बिल्कुल भी न करें।
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