बड़ो के देखा देखी बच्चों मे भी मज़हबी अहकामात के प्रति रुझान बढ़ा है।माहे रमज़ान मे रोज़ा रखने के साथ साथ बच्चे कलामे पाक की तिलावत भी कर रहे हैं।ऐसे ही दरियाबाद पीपल चौराहे के पास रहने वाले 10 वर्षीय सैय्यद मोहम्मद हैदर हैं जिन्होने शबे क़द्र के दिन तीस पारों का मजमूआ क़ुरआन ए मजीद मुकम्मल किया।और घर वालों को हैरत मे डालते हुए बिना बताए रोज़ा भी रखा।मो०हैदर के पिता अब्बास नक़वी दुबई मे रहते हैं।उनको खबर लगी तो उनहोने घर वालों से कह कर रोज़ा ईफ्तार पार्टी का इन्तेज़ाम करवाने को कहा।बच्चे ने माँ की गाईडेन्स मे इतनी कम उम्र मे क़ुराआन मुकम्मल कर सब को हैरत मे डाल दिया।
बड़ो के देखा देखी बच्चों मे भी मज़हबी अहकामात के प्रति रुझान बढ़ा है।माहे रमज़ान मे रोज़ा रखने के साथ साथ बच्चे कलामे पाक की तिलावत भी कर रहे हैं।ऐसे ही दरियाबाद पीपल चौराहे के पास रहने वाले 10 वर्षीय सैय्यद मोहम्मद हैदर हैं जिन्होने शबे क़द्र के दिन तीस पारों का मजमूआ क़ुरआन ए मजीद मुकम्मल किया।और घर वालों को हैरत मे डालते हुए बिना बताए रोज़ा भी रखा।मो०हैदर के पिता अब्बास नक़वी दुबई मे रहते हैं।उनको खबर लगी तो उनहोने घर वालों से कह कर रोज़ा ईफ्तार पार्टी का इन्तेज़ाम करवाने को कहा।बच्चे ने माँ की गाईडेन्स मे इतनी कम उम्र मे क़ुराआन मुकम्मल कर सब को हैरत मे डाल दिया।
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