प्रयागराज: बीते अक्टूबर 2020 अफसरों की मेहरबानी से गोंडा में तैनाती के दौरान निलंबित डीपीओ को बचाने के लिए कोर्ट और शासन को गुमराह करके गुपचुप तरीके से प्रयागराज का डीपीओ बना दिया गया था। सूत्रों की मानें तो वहां पर तैनाती के दौरान डीपीओ पर कुंभ में करीब 6500000 और विभागीय सामग्री की खरीद में करीब 3600000 रुपए का घोटाले का आरोप लग चुका है जिसकी सतर्कता जांच चल रही थी जबकि विभागीय जांच में इन आरोपों की पुष्टि हो चुकी है हाल में भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी डीपीओ के कारनामों की फेहरिस्त के साथ मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन्हें पद मुक्त करने की सिफारिश की गई थी। आपको बता दें कि बीते वर्ष प्रयागराज में लगे कुंभ के दौरान राज्य सरकार ने तीर्थ यात्रियों के प्रवास के लिए टेंट लगाने और विभागीय कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार के लिए 1700000 रुपए खर्च करने की अनुमति दी थी किंतु डीपीओ मनोज ने इस मद में लगभग 6500000 रुपए खर्च कर दिए गोंडा में तैनाती के दौरान हुए थे निलंबित सूत्रों की मानें तो गोंडा में तैनाती के दौरान मनोज राव पर विभागीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था निलंबन के विरुद्ध हाईकोर्ट में स्थगन आदेश ले आए थे और इसी के आधार पर उन्होंने पूरा गोंडा के डीपीओ का चार्ज ले लिया था शासन का पद जानने के बाद कोर्ट ने स्थगन आदेश को 22 मई 2017 को ही खारिज कर दिया था इसके बावजूद मनोज काफी दिनों तक गोंडा के डीपीओ बने रहें इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब आरटीआई कार्यकर्ता राजेश कुमार विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास सहकारी संघ के डायरेक्टर आर पी सिंह बघेल ने साथियों के साथ शासन से शिकायत की दोनों ने अपनी शिकायतों में कुंभ के दौरान और बिलिंग करके 6500000 और जेम पोर्टल के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए सामान में करीब 3600000 रुपए के गबन करने की बात बताई गई थी इसी बिना पर आईसीडीएस निदेशालय ने जांच कराई इसमें सारे तथ्यों को देखने के बाद जांच में सत्यता पाई गई।
प्रयागराज: बीते अक्टूबर 2020 अफसरों की मेहरबानी से गोंडा में तैनाती के दौरान निलंबित डीपीओ को बचाने के लिए कोर्ट और शासन को गुमराह करके गुपचुप तरीके से प्रयागराज का डीपीओ बना दिया गया था। सूत्रों की मानें तो वहां पर तैनाती के दौरान डीपीओ पर कुंभ में करीब 6500000 और विभागीय सामग्री की खरीद में करीब 3600000 रुपए का घोटाले का आरोप लग चुका है जिसकी सतर्कता जांच चल रही थी जबकि विभागीय जांच में इन आरोपों की पुष्टि हो चुकी है हाल में भाजपा एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने भी डीपीओ के कारनामों की फेहरिस्त के साथ मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इन्हें पद मुक्त करने की सिफारिश की गई थी। आपको बता दें कि बीते वर्ष प्रयागराज में लगे कुंभ के दौरान राज्य सरकार ने तीर्थ यात्रियों के प्रवास के लिए टेंट लगाने और विभागीय कार्यक्रमों के प्रचार प्रसार के लिए 1700000 रुपए खर्च करने की अनुमति दी थी किंतु डीपीओ मनोज ने इस मद में लगभग 6500000 रुपए खर्च कर दिए गोंडा में तैनाती के दौरान हुए थे निलंबित सूत्रों की मानें तो गोंडा में तैनाती के दौरान मनोज राव पर विभागीय अनियमितता और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था निलंबन के विरुद्ध हाईकोर्ट में स्थगन आदेश ले आए थे और इसी के आधार पर उन्होंने पूरा गोंडा के डीपीओ का चार्ज ले लिया था शासन का पद जानने के बाद कोर्ट ने स्थगन आदेश को 22 मई 2017 को ही खारिज कर दिया था इसके बावजूद मनोज काफी दिनों तक गोंडा के डीपीओ बने रहें इस घोटाले का खुलासा तब हुआ जब आरटीआई कार्यकर्ता राजेश कुमार विश्वकर्मा उत्तर प्रदेश राज्य निर्माण एवं श्रम विकास सहकारी संघ के डायरेक्टर आर पी सिंह बघेल ने साथियों के साथ शासन से शिकायत की दोनों ने अपनी शिकायतों में कुंभ के दौरान और बिलिंग करके 6500000 और जेम पोर्टल के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए सामान में करीब 3600000 रुपए के गबन करने की बात बताई गई थी इसी बिना पर आईसीडीएस निदेशालय ने जांच कराई इसमें सारे तथ्यों को देखने के बाद जांच में सत्यता पाई गई।
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