वाराणासी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के वेबिनार से जुड़े निमंत्रण पत्र पर अल्लामा इकबाल की फोटो लगाने के बवाल का मामला जोर पकड़ गया है।बीएचयू कमेटी ने अब इस मामले की जांच पड़ताल शुरू कर दी है।तीन दिन के भीतर जांच कमेटी को विश्वविद्यालय प्रशासन को जांच रिपोर्ट सौपनी है।इस पूरे मामले में उर्दू विभागाध्यक्ष आफताब अहमद से ने बताया कि वो बीएचयू यूनिवर्सिटी के मुलाजिम हैं और जांच कमेटी के सामने अपना पक्ष रखेंगे।
बीएचयू उर्दू विभाग के कार्यक्रम के बवाल पर उर्दू विभाग के अध्यक्ष आफताब अहमद ने कहा आखिर अल्लामा इकबाल के मामले में विवाद क्यों हो रहा है, समझ में नहीं आ रहा।अल्लामा इकबाल का जन्म भारत में हुआ था,अल्लामा इकबाल की मौत भी यहीं हुई थी,आजादी और देश बंटवारा के पहले 1938 में उनका इंतकाल लाहौर में हुआ था।वो पाकिस्तानी कैसे हो गए? यह बात समझ में नहीं आ रही है।
9 नवंबर 1877 को अल्लामा इकबाल का जन्म हुआ था। 9 नवंबर को उनके जन्मदिन पर उर्दू दिवस मनाया जाता है।उर्दू दिवस पर बुधवार को कार्यक्रम आयोजित हुआ।आफताब अहमद के मुताबिक कार्यक्रम ऑनलाइन था। छात्रों ने भूलवश महामना की जगह अल्लामा इकबाल की फोटो लगा दी। गलती को सुधारकर महामना की फोटो लगाई गई थी।ऑफ लाइन कार्यक्रम होता तो पोस्टर चेक करते।
आफताब अहमद ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार हर साल साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए साहित्यकारों को अल्लामा इकबाल सम्मान देती है। उर्दू साहित्य के इतिहास में इकबाल हैं।बच्चों को सिलेबस में अल्लामा इकबाल के बारे में पढ़ाते हैं। एकेडमी में हमेशा खुले विचारधारा से हम लोगों को सोचना चाहिए।
बीएचयू पोस्टर विवाद पर आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार ने कहा कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय की अंतरात्मा मालवीय जी हैं। उनकी जगह कोई नहीं ले सकता है। सारे जहां से अच्छा, हिन्दुस्तां हमारा गाने वाले इकबाल भटककर पाकिस्तान चले गए थे।उस समय उन्हें इस गाने का मर्म समझ में नहीं आया।
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