पार्लियामानी इलेक्शन में अवाम का नज़रिया
सेक्युलर पार्टियां इलाहाबाद से पूर्व एम पी अतीक़ हमद को इन्तेख़ाबी मैदान में उतारें
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file photo..........
इलाहबाद। 2019 पार्लियामानी इलेक्शन का बिगुल बज चूका है इलाहाबाद में भाजपा छोड़ किसी पार्टी ने अपने उम्मीदवार अभी तक तय नहीं कर सकीं कियुँकि इलाहाबाद तारीख़ी शहर है यहाँ के नतीजे मुल्क के मुस्तक़बिल तय करती है.शायद यही वजह है की खुद को सेक्युलर पार्टी कहने वाले लीडरान को उम्मीदवार पर फैसला लेने में देरी कर रहे हैं. अवाम भी हर सुबह इस उम्मीद पर अखबारों की सुर्खियां देखती है कि शायद फूलपुर या इलाहाबाद पार्लियामानी सीट से कोई उम्मीदवार आया हो. जैसे जैसे पर्चा नामज़दगी की तारिख क़रीब आरही है लोगों में बेचैनी बढ़ती जा रही है यह जानने को कि किस पार्टी से कौन सियासतदां इन्तेख़ाबी मैदान में उतरेगा। यूँ तो क़द्दावर सियासतदां रीता बहुगुणा जोशी को बी जे पी ने मैदान में उतार कर तमाम दलों को अल्टीमेटम देदिया है कि हम कहीं से कमज़ोर नहीं है. लेकिन बाक़ी पार्टियां इसी छवी के उम्मीदवार की तलाश में हैं पर तय नहीं कर पा रहे हैं कि किसे मैदान में उतारें। इस बीच इलाहाबाद समेत आस पास के अवाम यह गुफ़्तगू कर रही है कि यह सही वक़्त है की दिग्गज सियासतदां पूर्व MP अतीक़ अहमद को इन्तेख़ाबी मैदान में उतारा जाये। जहाँ तक उनकी शख्सियत का सवाल है ये किसी तार्रुफ़ के मोहताज नहीं है और मुक़बूलियत की जहाँ तक बात तो अकलियतों में उनके क़द वाला लीडर फिलहाल इस वक़्त नहीं है. अगर कांग्रेस या गढ़बंधन इनपर दॉव लगाए तो यक़ीनन यह दॉव ख़ाली नहीं जायेगा और जीत यक़ीनी है इसके अलावा आस पास के सीटों पर भी इसका ज़बरदस्त असर होगा। अब देखना यह है कि इस पर आख़री फ़ैसला दोनों दल के लीडरान किया लेते हैं। अवाम भी इनके फैसले को इंसाफ के तराज़ू में तौलेगी कि वह वाकाई मुल्क को तोड़ने वाली ताक़तों के ख़िलाफ़ ईमानदारी से लड़ रहे या फिर टी-ट्वेंटी की तरह गेम हो रहा है?
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