बाप के बयान से बेटे के सियासी वजूद पर खतरा
कशमकश में उत्तर प्रदेश का अकलियत, निगाहें कांग्रेस की तरफ
इलाहाबाद| सियासत अब तिजारत बन गई है तभी तो जिस फिरके के बल पर सूबे में कई बार सरकार बनाई जिसकी वजह से मुखालिफों नें मुल्ला के ख़िताब से नवाज़ा अगर वो शख्स किसी ऐसे इंसान कि हिमायत करे जिसको देश के ज्यादा तर सियासी लीडर लोकतंत्र का ख़तरा मानते हों तो क्यूँ ना लोग सोचने पर मजबूर हो जायें हो न हो राजनीति भी व्यापार हो गई है| पर्ल्यामेंट में जिस तरह से खुद को सेकुलरिज्म का अलमबरदार बताने वाले लोहिया जी के शागिर्द ने बयान दिया जिसे सुन कर तूफ़ान नहीं बल्कि एक तरह से ज़लज़ला आगया क्यूंकि यह बयान किसी आम आदमी का नहीं था यह बयान देने वाला जो बुज़ुर्ग लीडर था उसको उत्तर प्रदेश के अकलियत ने सर आँखों बार बैठाया कई बार और आँख बंद कर भरोसा कियाद्य जबकि कुछ लोग खुद उनके करीबी समझे जाने वाले तीखे मिज़ाज वाले पूर्व कैबिनेट मिनिस्टर ने इशारों ही इशारों में कई बार खाकी नेकर धोती के अन्दर पहन्ने की बात कही| पर उत्तर प्रदेश के अकलियत ने नज़र अंदाज़ किया इतना ही नहीं सूबे मंब इक्तेदार हसिल करने में इस कौम नें अहम किरदार अदा कियाद्य काश! बयान देने से पहले उस कौम के बारे में थोड़ा भी सोच लेतेद्य अब जब तलवार कमान से निकल ही गई है तो तो कुछ कमाल तो करेगी हीए तमाम भाजपाई हर जगह चौराहा व गलियों में सीना तान के कहते सुनाई दे रहे हैं कि अब कोई नहीं रोक पायेगा विजय रथ को| अब जबकि उत्तर प्रदेश में बुजुर्गवार के बेटे ने बहन जी से गढ़बन्धन किया है सीटों का बटवारा
भी हो गया और बाप कि बनाई पार्टी पर इस वक़त पूरी तरह से बेटे का क़ब्ज़ा है और इस पार्टी का बेस वोट बैंक भी अकलियत वोट ही है लेकिन बाप के एक बयान से अकलियत बाप कि तरह बेटे पर भरोसा करने से कतरा रहा है| ऐसे में २०१४ विधान सभा चुनाव जैसे हालात बनना मुमकिन है जब पूरी तरह से अकलियत व सेक्युलर वोट बिखर गया था और शायद पार्लियामेंट में दिया गया बयान उसी साजिश का हिस्सा है, और बाप के बयान पर बेटे की ख़ामोशी कौम को बेचैन कर रही है और यही वजह बनेगी पार्टी के सब से ज्यादा नुकसान की, पिछले दिनों इलाहबाद आगमन पर खुद को यह बयान देने से बेटा नहीं रोक पाया कि गढ़बनधं आज के समय की सब से बड़ी ज़रुरत है और वो इस लिए कि नेता जी को मैनपुरी से रिकॉर्ड वोटों से जीता सकें| बेटे के इस बयान से भी उत्तर प्रदेश का अकलियत कतई खुश नहीं है ताज्जुब है कैसे बी जे पी को उत्तर प्रदेश में टक्कर देगा नौजवान या तो इस युवा को राजनीती कि समझ नहीं है या फिर किसी के इशारे पर सेक्युलर वोट को बांटने की ख़ुफ़िया तौर पर साजिश है,क्यूंकि किसी और राज की बात नहीं की जा सकती लेकिन सूबे में तो अकलियत वोट अहम किरदार अदा करता हैए जो अब अपने पुराने नेता व उसके वारिस पर कतई भरोसा नहीं कर रहा है| अब तो सियासी गलियारें में भी चर्चा आम हो रही है कि अगर कौम का वोट नेता जी के वारिस को लेना है तो बगैर देर किये एक बयान ज़रूर देना है कि नेता जि हमारे बाप ज़रूर हैं लेकिन मौजूदा वक़्त में हमारी नीति मुद्देए उनसे अलग हैए और सियासी सोच भी कतई मेल नहीं खाती इस लिए एक बाप के शक्ल में उनका सम्मान कल भी था और कल भी रहेगा पर सियासी सफ़र व मिशन हमारा व उनका अलग है| अगर ऐसा करने में बेटे ने पहल की तब तो अकलियत की कसौटी पर खरा उतरेगा नौजवान सियासतदां वरना एक बार फिर कांग्रेस की तरफ उम्मीद भरी नज़रों से देख रहे हैं सूबे के अकियती लोग|
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