अल्पसंख्यक कांग्रेस ने बदायूं की जामा मस्जिद को मंदिर बताने वाली याचिका का स्वीकार के विरोध में महामहिम राष्ट्रपति को वाया जिलाधिकारी द्वारा भेजा ज्ञापन -
प्रयागराज। अल्पसंख्यक कांग्रेस के शहर अध्यक्ष अरशद अली कहा बदायूं की जामा मस्जिद देश की सबसे पुरानी मस्जिदों में से एक है जो 1223 इस्वी में बनी थी।जिसे गुलाम वंश के शासक शम्सुद्दीन अल्तमश ने बनवाया था।मस्जिद में तब से ले कर आज तक रोज़ पांचों वक़्त विधिवत नमाज़ अदा की जा रही है ।
अरशद ने कहा विदित हो कि बाबरी मस्जिद सिविल टाइटल फैसले में भी सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम को संविधान के बुनियादी ढांचे से जोड़ा था। सनद रहे कि संविधान के बुनियादी ढांचे में कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता। अरशद ने कहा कि यह अधिनियम स्पष्ट करता है कि 15 अगस्त 1947 तक धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र और मिल्कियत थी वो यथावत रहेगी।
इसे चुनौती देने वाले किसी भी प्रतिवेदन या अपील को किसी न्यायालय, ट्रिबूयुनल या प्राधिकार के समक्ष स्वीकार नहीं किया जा सकता।
इस मौके पर प्रदेश सचिव मुनताज सिद्दिकी ने कहा पूजास्थल क़ानून 1991 की धारा 3 के उल्लंघन की कोशिश करने के अपराध में इस क़ानून की धारा 6 के तहत 3 साल की क़ैद और अर्थ दंड की सज़ा सुनाई जानी चाहिए थी। सिविल जज ने इस वाद को स्वीकार कर इस क़ानून का उल्लंघन किया है।
मुनताज सिद्दिकी ने कहा कि ऐसे जज
(बदायूं सिविल जज सीनियर डिविजन विजय कुमार गुप्ता) के खिलाफ़ कार्यवाई सुनिश्चित की जाए ताकि लोकतंत्र की बुनियाद संस्थाओं के पृथकीकरण का सिद्धांत बचा रहे। कार्यकर्म का संचालन शहर उपाध्यक्ष मुस्तकिन कुरैशी ने किया।
इस मौके पर- शहर अध्यक्ष अरशद अली, प्रदेश सचिव मुनताज सिद्दिकी, परवेज सिद्दिकी, तालिब अहमद, मुस्तकीन कुरैशी, हाजी आफताब अहमद, महफूज अहमद, नाज खान, रेहाना बेगम शमसुल हसन अधिवक्ता,नजर कुरैशी अधिवक्ता, अरमान कुरेशी, अब्दूल कलाम आजाद, मुख्तार अहमद, जाहिद नेता, जाकिर हुसैन, मो रूमी, मो आरिफ, गुलाम वारिश, आदि मौजूद थे।
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