हैदराबाद ब्यूरो: वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मसले पर जिला न्यायालय के फैसले आने के बाद जहां एक वर्ग ने जय जयकार कर मिष्ठान वितरण किया वही दूसरे वर्ग के लोगों में हताशा दिखी पर मायूस नहीं थे। फैसले के खिलाफ। देश के विभिन्न इलाकों में अपनी तरह से लोग प्रतिक्रिया दे रहे हैं तो वही ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस मसले पर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी बात बेबाकी से कहीं उन्होंने कहा देश बहुत तरक्की कर रहा है हम विश्व गुरु बनने जा रहे हैं लेकिन लोकतांत्रिक देश है यहां पर रहने वाली अलग-अलग धर्म जाति के लोग को पूरा अधिकार है अपनी तरह से पहनने खाने चलने पूजा इबादत करने का ऐसे लोग अब महसूस कर रहे हैं क्या वास्तव में हमारा देश विश्व गुरु बनेगा.? उन्होंने कहा जिस तरह से जिला न्यायालय का आदेश आया है उससे अब हमारा प्यारा वतन जब विश्व गुरु बनेगा जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार है लेकिन फिलहाल मौजूदा वक्त में जो हालात ऐसे नहीं दिख रहे हैं। उससे साफ जाहिर हो रहा है कि हम 80-90 के दशक में वापस जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील होना ही चाहिए लेकिन बनारस की जिला अदालत ने जिस तरह का फैसला दिया है उसे तो हर कोई कोर्ट में जाकर यह कहेगा कि 1974 से पहले हम इस स्थान पर थे इसके बाद अदालत तसलीम करेंगी सुनवाई शुरू हो जाएगी तो फिर 1991 प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट का क्या मतलब है जो भारत की सर्वोच्च अदालत ने बनाया था.? ओवैसी ने आगे कहा खुदा के वास्ते कम से कम हमारे देश की संविधान की मर्यादा तो जीवित रखो जब अदालत के आदेश को दूसरी अदालत नहीं मानेगी तो फिर इसका मतलब इस देश की करोड़ों जनता समझ रही होगी क्या होगा.? फैसले से अस्थिर प्रभाव पड़ेगा न्याय के मंदिर पर से आम जनों का एहतेमाद खत्म भी हो जाए तो कोई ताज्जुब नहीं.? ओवैसी ने कहा ज्ञानवापी मस्जिद वक्फ बोर्ड की जमीन है 81 84 के खसरा में साफ तौर पर दर्ज प्लाट नंबर 9130 को लेकर मकबूजे अहले इस्लाम मस्जिद का जिक्र है उन्होंने कहा कि साल 1942 में वक्फ का गजट इश्यू हुआ था यह मस्जिद वक्फ है साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि साल 1937 के दूसरे केस में फैसला आया जिसमें कहा था कि यह मस्जिद मस्जिद के नीचे जमीन घर उत्तर और दक्षिण में पूरा वक्फ है। ओवैसी ने साफ तौर पर कहा कि जिस वक्त बाबरी मस्जिद पर फैसला आया मैंने कहा था कि इससे मुश्किलें बढ़ेंगी कम नहीं होगी क्योंकि यह फैसले आस्था की बुनियाद पर दिए गए और सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर कहा था की 15 अगस्त 1947 के वक्त जो जहां था वही रहेगा फिर आखिर क्यों इस कानून के खिलाफ अदालते फैसला दे रही है.? उन्होंने कहा कि अगर आप कोई ऐसा काम करेंगे जिससे उस मजहबी मकाम का नेचर बदल जाता है तो फिर 1991 का एक्ट का मतलब ही खत्म हो जाता है इस तरह से पूरे मुल्क में अफरा तफरी का माहौल होगा इसलिए मेरी अदालते आलिया से अपील है गुजारिश से विनम्र निवेदन है रिक्वेस्ट है कि भारत धर्मनिरपेक्ष छवि को मुकम्मल बनाए रखने हेतु अम्न भाईचारगी
बनाए रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है कि इस तरह के मामलों पर शुरुआती स्टेज पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि 1991 प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट इसलिए बनाया गया था कि इस तरह के सभी विवाद हमेशा के लिए बंद हो जाए आज के इस आदेश के बाद से तमाम मुद्दों फिर से कानूनी मुकदमा शुरू हो जाएंगे उन्होंने कहा इस तरह से हमें यह महसूस हो रहा है कि अब यह मुकदमा उसी रास्ते पर जा रहा है जिस पर बाबरी मस्जिद का मुद्दा गया था ओवैसी ने कहा कि बीते दिनों पीएम मोदी ने बड़े मंदिर का उदघाटन किया था दरअसल वह अगला बदली किया गयी जमीन पर किया गया मतलब एक्सचेंज मुसलमानों से किया गया था जिसकी प्लाट संख्या 93. 94 रजिस्टर्ड दस्तावेज आज भी मौजूद है। #AllIndiaMajliseIttehadulMuslimeen #AIMIMUttarPradesh #AsaduddinOwaisi #haidrabad #maharashtra #newdelhi #Lucknow #varanasi #Prayagraj #प्रयागराज #इलाहाबाद
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