वोटिंग की तारिख रमजान में रखने से मुस्लमान के जोश दोगुना - शहरे अमन

अपने जीवन को शानदार बनाएं, समाचार पत्र पढ़ें

Breaking

Post Top Ad

Responsive Ads Here

Mar 19, 2019

वोटिंग की तारिख रमजान में रखने से मुस्लमान के जोश दोगुना

वोटिंग की तारिख रमजान में रखने से मुस्लमान के जोश दोगुना
फरमाने इलाही है कि हमें किस्से काम लेना है: उलमा 
इलाहबाद: खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तदबीर से पहले खुदा बन्दे से पूछे बता तेरी राजा क्या है. बेशक परवरदिगार अपने बन्दे से बेपनाह मुहब्बत करते है, क्यूंकि हम रसूल की बेपनाह मुहब्बत करते हैं क्यूंकि हम रसूल की उम्मत हैं. यह अलग बात है कि हम गुमराह हैं, हमारे आमाल दुरुस्त नहीं है वरना आज के दुश्मनाने इंसानियत तो पसंगा है. हर मायने में ताक़त वर लोगो को आराम से शिकस्त हम ही ने दी है वह भी उस दौर की गरमी में रोज़ा रखे कर. जब ना कूलर, पंखा, ए सी था. इलेक्शन कमीशन ने पार्लियामानी इलेक्शन की तारीख का एलान किया तो रहबरे क़ौम दीगर पार्टी के लीडर ने एतराज़ किया कि यह एक ख़ास मज़हब के वोटरों के वोट देने से महरूम रखने की साज़िश हैं? किसी ने कहा कि इलेक्शन कमीशन को तारीख में तब्दील करनी चाहिये ताकि लोगो को जम्हूरियत ने हक़ दिया है, उसका इस्तेमाल बेहतर हिंदुस्तान के लिए मुस्तैदी से कर सकें। यह तो सेक्युलर पार्टियों के सरबराह के अपने अपने ख्यालात हैं. दरअसल सियासी लीडरों को शायद इस्लामी तारिख की जानकारी नहीं वरना वह एतराज न करते बल्कि क़ौम के लोगों की तरह वो भी खुश होते क्यूंकि हमने जितनी भी जांग फतह की है सारी मुबारक महीने रमज़ान में ही की हैं. अंग्रेजी को मुल्क से खदेड़ने में क़ौम, उलमा के किरदार को क़ौम नहीं जानता यह नेक काम भी २७ रमज़ान ने हुआ जंगे बदर, फतेह मक्का, फतेह मिस्र, जंगे यमूक,वगैरा तमाम जंगें रमजान में ही हासिल की है. और हम सब को यह समझ लेना चाहिये कि ज़ुल्म ज़्यादती की इंतेहा को देख ऊपर वाले ने एक ऐसे शख्स से काम लेने की पहल की है जो  ईमान वाला नहीं है यह कोई ताअज्जुब की बात नहीं क्यूंकि उसने कहा है कि हमें जिससे जो काम लेना है ले लेते हैं और किस्से लेना है यह हम बेहतर जानते हैं. अब जबकि इलेक्शन कमीशन ने तारिख रख दी तमाम लीडरान खफा हो गये तो उलमाये दीन आगे आये और नबी की उम्मत से कहा कि हम खुशनसीब हैं हमें वोट देने का मौका रमजान में मिला और ज़ुल्म  व सितम, इंसानियत का गाला घोंटना, बेकसूरों को साज़िश कर हलाक करने के खिलाफ एक जंग यह भी है जो यक़ीनन हम रोज़ेदार ही फ़तेह हासिल करेंगे. फिलहाल क़ौम में ज़बरदस्त जोश है वोट देने को लेकर। वरना न संभले तो....... 

No comments:

Post a Comment

Post Bottom Ad

Responsive Ads Here

Pages